राम प्रसाद महतो ने कहा कि शास्त्र के अनुसार मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती मानसरोवर झील में जल कीड़ा कर रहे थे ,तब दोनों के तेज इकट्ठा होकर कमल के पत्ते पर जमा हो गया। तब उनके संरक्षण के लिए वहां मौजूद सर्पिणियों ने इस तेज को अपनी कुंडली में लपेट लिया था। महादेव और जगदंबा की तेज से जिस कन्या का जन्म हुआ वह मनसा देवी का रूप है। विश्व में प्रमुख अष्ट नागों की कोई बहन नहीं तब भगवान शंकर ने अपनी भक्त बसुकी बात मानते हुए उन्हें नागलोक का साम्राज्य प्रदान कर दिया। इसलिए मनसा देवी संपूर्ण नाग जाति की बहन और पुत्री मानी जाती है। मां मनसा देवी तीन लोगों स्वर्ग लोक नागलोक और पृथ्वी लोक में पूजी जाती है। मनसा पूजा करने में गांव में शांति और समृद्धि बना रहता है।
पूजा संपन्न कराने में समिति के सदस्य राम प्रसाद महतो , नुनु राम महतो , सूर्य प्रसाद महतो, कृष्ण चंद्र महतो , गणेश चंद्र महतो, सत्यनारायण दास, आलेख दास ,सुनील दुबे, राजेश दुबे ,कर्ण कैर्वत , भिखारी महाराणा , रंजीत कैर्वत , सोमनाथ नन्द, नंदलाल मंडल, विरधान सोय , सुकरा मंडल ,मंनतोष बारीक, नीलकंठ बारीक एवं ग्रामवासी का सहरनीय योगदान रहा।