अंजली महतो का जन्म शालिका, हरियाटाड़ा, कलाइकोंडा, थाना खड़गपुर (ग्रामीण), जिला पश्चिम मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल में हुआ है। उनकी उम्र 40 वर्ष है और उनकी शैक्षणिक योग्यता 8वीं पास है। वे महज 7 वर्ष की उम्र से ही लोकगीत खासकर झूमर गाना शुरू कर चुकी हैं। उन्होंने अपने पिता से गायन की शिक्षा प्राप्त की, जिसने उनके संगीत सफर की मजबूत नींव रखी। सुभाष महतो, जो अंजली महतो के पति हैं, सुभाष महतो बंगला झूमर के विख्यात गीतकार और संगीतकार के तौर पर अपनी खास पहचान रखते हैं।
अंजली महतो को उनके योगदान के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा मुख्यमंत्री के हाथों महा संगीत सम्मान सहित कई पुरस्कार मिल चुके हैं। उनका अनुभव जमशेदपुर रेडियो सेंटर के साथ कई वर्षों तक झूमर गीत गाने का रहा है, जहां उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
अंजली महतो ने अब तक 1900 से अधिक लोकगीत रिकॉर्ड किए हैं। उनके गायन में झूमर के अलावा खेमटा, आर खेमटा, भादोरिया, थिर रिंगा, भोराभुइंया, उमटी, झूमटी, टुसु, बिहा, काठी, करम, जावा, गरोहिया, आधा गरोहिया, सोलसोलिया, टांर, दाही, बंदना आदि विभिन्न विधाएँ शामिल हैं, जो उनकी विविधता और पारंपरिक संगीत के प्रति गहरी पकड़ को दर्शाती हैं।
अंजली महतो ने झारखंड आंदोलन के वीर शहीद निर्मल महतो और सुनील महतो के गीत भी रिकॉर्ड किए हैं, जो उनके सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान को दर्शाता है। उनकी कला सिर्फ पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं है, बल्कि वे ओडिशा,असम,झारखंड और बिहार में भी काफी प्रसिद्ध हैं।
वर्तमान में अंजली महतो रिकॉर्डिंग और मंचीय कार्यक्रमों के माध्यम से झूमर गीतों का गायन वर्ष दर वर्ष जारी रखे हुए हैं। उनके प्रयासों से पारंपरिक झूमर संगीत आज भी जन-जन के दिलों में जीवित है।